उत्त्तराखंड के हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर लोगों को जमावड़ा भले ही लगा हो लेकिन पर्यटकों के हाथ निराशा ही आ रही है. दरअसल, हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर बहने वाली गंगा की धारा इन दिनों सूखी हुई है.
वजह है गंग नहर की वार्षिक बंदी, जो दशहरे से दीपावली तक के लिए की जाती है. गंगा बंदी से जहां श्रद्धालुओं को स्नान में दिक्कत आ रही है. वहीं कुछ लोगों के लिए ये रोजी-रोटी का ज़रिया बना हुआ है.
हरिद्वार की विश्वप्रसिद्ध हर की पैड़ी से इस वक्त रौनक गायब है. यहां गंगा की धारा बहती है तो लगभग रोजाना मेले जैसा माहौल बना रहता है, लेकिन इन दिनों गंग नहर बंदी के चलते गंगा की धारा सूखी हुई है. इससे एक तरफ तो बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को निराशा हो रही है. वहीं कई लोगों के लिए रोजी-रोटी का संकट भी खड़ा हो जाता है. ऐसे में हर की पैड़ी के आसपास छोटा-मोटा काम करने वाले लोग गंगा में सिक्के बीन कर गुजारा करते हैं.
स्थानीय लोगों ने क्या कहा?
स्थानयी लोगों ने कहा कि गंगा बंदी के दौरान हर की पैड़ी के आसपास सिक्के बीनना यूं तो कई लोगों की मजबूरी होता है. लेकिन गंगा में चढ़ने वाले गुप्त दान से कई बार इन बीनने वाले लोगों को कीमती आभूषण भी मिल जाते हैं. जिससे उनकी अच्छी खासी आमदनी हो जाती है. इसलिए कई लोग गंगा बंदी का साल भर इंतजार भी करते हैं और गंगा बंदी होते ही कीमती आभूषणों की खोज में लग जाते हैं.
बहती गंगा यहां की पहचान
एक अन्य स्थानीय शख्स ने कहा कि हर की पैड़ी पर कल-कल की ध्वनि कर बहती गंगा की धारा धर्मनगरी हरिद्वार की पहचान है. यहां गंगा के अस्तित्व से ही सभी छोटे-बड़े कारोबार जुड़े हुए हैं. ऐसे में लोग मानते हैं कि मां गंगा प्रवाह मान रहकर भी रोजगार देती हैं और सूखने के दौरान भी अपने बच्चों का पेट भरती हैं.
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