सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट
क्या न्यायिक अधिकारी, जो पहले से ही बार में 7 साल का अनुभव रखते हैं, जिला जज के पद के लिए योग्य हैं? इस सवाल का उत्तर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे न्यायिक अधिकारी बार कोटे के तहत जिला जज बनने के लिए पात्र हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान की व्याख्या सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
यह निर्णय जिला जजों की सीधी भर्ती के लिए न्यायिक अधिकारियों की पात्रता पर आधारित है। CJI बीआर गवई की अध्यक्षता में 5 जजों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया। 25 सितंबर को इस मामले पर सुनवाई पूरी हुई थी।
CJI ने कहा कि सभी पूर्व निर्णयों पर विचार किया गया है और पाया गया कि कुछ मामलों में उचित ध्यान नहीं दिया गया। अनुच्छेद 233 को संपूर्ण रूप से समझा जाना चाहिए, न कि आंशिक रूप से।
उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी व्याख्या जो प्रतिस्पर्धा को सीमित करती है, उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। राज्य सरकारों को सेवारत उम्मीदवारों के लिए नियम बनाने होंगे, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके पास न्यायिक अधिकारी और अधिवक्ता के रूप में कुल 7 वर्ष का अनुभव हो।
पीठ ने यह भी कहा कि धारा 233(2) सीधी भर्ती के लिए 25% कोटा प्रदान करती है, लेकिन यह सिद्धांत गलत कानून को मान्यता नहीं दे सकता। न्यायिक सेवा के सदस्यों के साथ अन्याय हुआ है। यह निर्णय केवल निर्णय की तिथि से लागू होगा, सिवाय उन मामलों के जहां उच्च न्यायालय द्वारा कोई अंतरिम आदेश पारित किया गया हो।
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति होने पर अधिवक्ता का प्रैक्टिस करने का अधिकार निलंबित हो जाता है। जिन न्यायिक अधिकारियों ने भर्ती से पहले बार में 7 वर्ष पूरे कर लिए हैं, वे सीधी भर्ती में जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे।
CJI के आदेश में महत्वपूर्ण बिंदु
अपने आदेश में CJI ने क्या कहा?
- CJI ने कहा कि राज्य सरकारों को उच्च न्यायालयों के परामर्श से जिला न्यायाधीश के पद पर आवेदन करने वाले न्यायिक अधिकारियों के लिए नियम बनाने होंगे।
- CJI ने यह भी कहा कि यदि कोई व्यक्ति 5 साल तक वकालत करता है और फिर 10 साल का ब्रेक लेता है, तो वह पूरी तरह से वकालत से अलग हो जाएगा।
- CJI ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को सीधी भर्ती के माध्यम से जिला जज के रूप में नियुक्त करने से वंचित करके उनके साथ अन्याय किया गया है।
- CJI ने कहा कि यह फैसला केवल फैसले की तिथि से लागू होगा और इससे पहले किए गए आवेदनों को प्रभावित नहीं करेगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेवा में आने से पहले 7 साल की कानूनी सेवा पूरी कर चुके न्यायिक अधिकारी जिला जज के रूप में नियुक्त होने के हकदार होंगे।
- CJI ने आगे कहा कि समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए आवेदन की तिथि पर न्यूनतम आयु 35 वर्ष होगी।
- CJI ने कहा कि सभी राज्य सरकारें HC के परामर्श से 3 महीने के भीतर नियमों में संशोधन करेंगी।
जस्टिस सुंदरेश का दृष्टिकोण
CJI के बाद जस्टिस सुंदरेश ने क्या कहा?
- जस्टिस सुंदरेश का मानना है कि अनुच्छेद 233 के तहत दोनों योग्यताएं न्यायिक सेवा के लिए केवल प्रवेश द्वार हैं।
- उन्होंने कहा कि संविधान की व्याख्या करते समय संविधान के मूल ढांचे को ध्यान में रखना चाहिए।
- जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि अनुच्छेद 233(2) की व्याख्या केवल वकीलों या व्यवसायियों के लिए करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।
- उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका का आधार उत्कृष्ट गुणवत्ता वाला होना चाहिए।
- यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं की आवश्यकता होगी।
- जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि जनता की सेवा के लिए नियुक्त किसी पद से व्यक्तियों के एक समूह को बाहर करना निश्चित रूप से असंवैधानिक होगा।
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