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भारत के शिक्षण संस्थानों पर हर सप्ताह सात हजार साइबर अटैक, इसके बाद सबसे ज्यादा सरकारी संस्थानों पर
शिक्षा क्षेत्र दुनियाभर में साइबर अपराधियों के लिए सबसे ज्यादा निशाने पर रहने वाले उद्योगों में से एक बनकर उभरा है और भारतीय संस्थान इन हमलों का सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। नैस्डैक : लिस्टेड चेक प्वाइंट सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज लि.
की ताजा थ्रेट इंटेलिजेंस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों पर औसतन हर सप्ताह 7,095 साइबर हमले हुए। यह आंकड़ा सरकारी संस्थाओं और कंज्यूमर गुड्स कंपनियों से भी अधिक है। वैश्विक स्तर पर यह क्षेत्र स्वास्थ्य क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है।
रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा क्षेत्र के बाद सबसे अधिक हमला सरकारी संस्थानों (5,140 हमले प्रति सप्ताह) और कंज्यूमर गुड्स एवं सेवाएं (3,889 हमले प्रति सप्ताह) पर हुआ। इससे साफ है कि अलग-अलग उद्योगों पर साइबर खतरों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। समग्र रूप से भारत में पिछले छह महीनों में हर सप्ताह औसतन 3,233 साइबर हमले हुए, जो वैश्विक औसत 2,002 हमलों से काफी अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षण संस्थानों पर साइबर हमलों की संख्या बढ़ने के पीछे कई अहम कारण हैं। इसमें हाइब्रिड लर्निंग मॉडल, शेयर/निजी डिवाइस और कनेक्टेड कैंपस ने हमले का दायरा बढ़ा दिया है। इसके अलावा कई संस्थानों के पास साइबर सुरक्षा के लिए छोटे बजट और कम आईटी स्टाफ है, जिससे वे आसान लक्ष्य बन जाते हैं।
संसाधनों की कमी से संस्थानों को निशाना बनाना आसान
चेक प्वाइंट सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज, इंडिया और साउथ एशिया के प्रबंध निदेशक सुन्दर बालासुब्रमणियन ने कहा, भारत का शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्र साइबर खतरों का केंद्र बना हुआ है। इंफोस्टीलर्स और रिमोट एक्सेस ट्रोजन (आरएटीएस) हाइब्रिड लर्निंग मॉडल और कनेक्टेड इकोसिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठा रहे हैं। संस्थानों को प्रिवेंशन-फर्स्ट नीति अपनानी होगी जिसमें क्लाउड-नेटिव सिक्योरिटी, एंडपॉइंट प्रोटेक्शन और थ्रेट इंटेलिजेंस शामिल हो। बौद्धिक संपदा की सुरक्षा और शैक्षणिक निरंतरता के लिए साइबर लचीलापन बेहद आवश्यक है। गौरतलब है कि चेक प्वाइंट सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज एआई-संचालित साइबर सुरक्षा समाधान प्रदान करने वाली अग्रणी वैश्विक कंपनी है, जो डिजिटल ट्रस्ट की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।