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भुखमरी के कगार पर झारखंड के लाखों परविार

रायपुर। ब्यूरो

झारखंड में ई-केवाईसी के चक्कर में लाखों राशन कार्डधारक अटक गए हैं। प्रशासनिक खामियों के चलते इन नागरिकों को राशन नहीं मिल रहा है। इस तरह गंभीर कुपोषण का सामना कर रहे इस राज्य में भूख का खतरा बढ़ सकता है। जन वितरण प्रणाली में ई-केवाईसी (इलेक्ट्रॉनिकली नो योर कस्टमर) एक आधार आधारित सत्यापन प्रक्रिया है। यह ई-पॉस मशीन पर बायोमेट्रिक या 'मेरा ई-केवाईसी' ऐप से चेहरा प्रमाणीकरण के जरिए की जाती है, ताकि डुप्लीकेट और अयोग्य कार्ड हटाए जा सकें और जरूरतमंद नागरिक शामिल किये जा सकें। केंद्र सरकार ने इसे सभी राशनकार्ड धारकों के लिए अनिवार्य कर 30 जून 2025 तक की समयसीमा तय की थी। समय सीमा के बाद सब्सिडी रोकने का निर्देश भी जारी किया गया था।

5 अगस्त 2025 तक झारखंड में 72.9 लाख राशनकार्ड धारकों के ई-केवाईसी नहीं हुए थे। इनमें 14.6 लाख के आधार नंबर राशनकार्ड से लिंक ही नहीं हैं, जो ई-केवाईसी प्रक्रिया से तुरंत बाहर हो जाते हैं। नवंबर 2024 से जून 2025 तक चली प्रक्रिया में कई अड़चनें रहीं-2जी मशीनें, नेटवर्क की अनुपलब्धता, ठप सर्वर

और धीमा इंटरनेट, बायोमेट्रिक फेल होना, आधार में मोबाइल नंबर न जुडना और राशनकार्ड में गलत आधार सीडिंग.

हालांकि खाद्य आपूर्ति विभाग के प्रभारी सचिव उमाशंकर सिंह ने दिसंबर 2024 में पत्र जारी कर माना था कि सर्वर पर लोड बढ़ने से न राशन वितरण हो पा रहा था, न ई-केवाईसी। इन कारणों से कार्डधारकों को अक्सर जन वितरण प्रणाली की दुकान, प्रखंड कार्यालय, आधार केंद्र और प्रज्ञा केंद्र के कई चक्कर लगाने पड़े। वहीं प्रवासी मजदूरों, बुजुर्गों और गंभीर बीमारी से ग्रसित कार्डधारकों के लिए ई-केवाईसी की प्रक्रिया उनकी पहुंच से बाहर रही। मई 2025 तक मनिका प्रखंड के 1120 आदिम जनजाति कार्डधारियों में से 797 (71 प्रतिशत) का ई-केवाईसी नहीं हो पाया था। कुल

आदिम जनजाति कार्डधारकों में से 21 प्रतिशत के आधार नंबर राशनकार्ड से जुड़े ही नहीं थे।

बता दें कि केंद्र सरकार ने बायोमेट्रिक विफलता झेलने वालों को चिह्नित करने, अनुपस्थित लाभार्थियों को ट्रैक करने और ई-केवाईसी नहीं होने के कारण दर्ज करने के निर्देश दिए थे। झारखंड सरकार ने राशन डीलरों से कारण दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन एक समान फॉर्मेट उपलब्ध नहीं कराया गया, कारण अलग-अलग तरीके से लिखे गए और आंकड़ों की डिजिटल प्रविष्टि ही नहीं हुई। अब तक राज्य सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि ई-केवाईसी न होने पर कार्डधारकों का क्या होगा

यह भी बता दें कि 2016-18 में आधार सीडिंग (अपने बैंक खाते या अन्य पहचान दस्तावेजों को अपने आधार नंबर से जोड़ना) न होने के कारण झारखंड में 11 लाख से अधिक राशनकार्ड रद्द हुए थे, जिसका परिणाम था की 17 लोगों की भूख से मौत हुई थी. यदि इस बार भी ई-केवाईसी के नाम पर योग्य ) कार्डधारकों के कार्ड रद्द हुए, तो लाखों लोग भूख और कुपोषण की ओर धकेले जा सकते हैं।