+ दलित दस्तक न्यूज़ : जातिगत भेदभाव: कोली समाज के बच्चे को पशुशाला में बंद कर मांगा बकरा, घबराए बच्चे ने की आत्महत्या; मामला दर्ज

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जातिगत भेदभाव: कोली समाज के बच्चे को पशुशाला में बंद कर मांगा बकरा, घबराए बच्चे ने की आत्महत्या; मामला दर्ज

Himachal Pradesh News: लिम्बड़ा गाँव में एक दर्दनाक घटना ने जातिगत भेदभाव की गहरी जड़ों को उजागर किया है। एक बारह वर्षीय बच्चे की मौत ने पूरे समाज को हिलाकर रख दिया है। आरोप है कि तीन महिलाओं ने उसे एक पशुशाला में बंद कर दिया और मानसिक प्रताड़ना दी। इसके बाद भागने के दौरान बच्चे ने जहरीली दवा खा ली और उसकी मौत हो गई। परिवार न्याय की माँग कर रहा है।

चिड़गांव थाना क्षेत्र के इस गाँव में घटना की जानकारी बच्चे के चाचा सिकंदर ने दी। उन्होंने बताया कि बच्चा स्थानीय राजपूत परिवार के घर चला गया था। वहाँ पुष्पा चौहान और दो अन्य महिलाओं ने उसे पकड़ लिया। उन्होंने बच्चे को निचली पशुशाला में बंद कर दिया और बाहर से ताला लगा दिया।

मानसिक उत्पीड़न के दौरान महिलाओं ने बच्चे से कहा कि उसने उनका घर अपवित्र कर दिया है। उन्होंने शुद्धि के लिए बकरा लाने की बात कही। इस दौरान बच्चे के चाचा सुरेश को फोन करके सूचना दी गई। सुरेश ने उन्हें बच्चे के पिता को बुलाने और बच्चे को अकेला न छोड़ने की सलाह दी।

डरा हुआ बच्चा किसी तरह खिड़की की जाली तोड़कर भागने में सफल हो गया। भागने के बाद मानसिक दबाव और भय के कारण उसने गलती से जहरीली दवा का सेवन कर लिया। इसके बाद उसे आईजीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लंबे इलाज के बाद सत्रह सितंबर की रात एक बजकर तीस मिनट पर बच्चे ने अपनी जान गँवा दी।

अठारह सितंबर को पोस्टमॉर्टम के बाद शव को गाँव लाया गया। अगले दिन उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि शव को जल्दबाजी में जला दिया गया। उनका कहना है कि घटना की उचित सूचना न तो मीडिया को दी गई और न ही स्थानीय स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई हुई।

संस्कार के दूसरे दिन परिवार ने डीएसपी रोहड़ के पास अर्जी दी। चिड़गांव थाना पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस ने सेशन जज के सामने पीड़ित परिवार के बयान दर्ज करवाए हैं। जाँच के दौरान नए तथ्य सामने आ रहे हैं।

पीड़ित परिवार ने स्थानीय विधायक से भी मुलाकात की। परिवार का कहना है कि विधायक ने मामले को उछालने से मना किया। उन्होंने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। इसके बाद कोली समाज ने पुलिस थाने में जाकर अपना विरोध दर्ज कराया। मृतक के पिता भी इस संघर्ष में समाज के साथ खड़े हैं।

अदालत ने अब इस मामले को संज्ञान में लिया है। इससे परिजनों को न्याय की उम्मीद बँधी है। समाज के लोगों का कहना है कि यह सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं है। यह पूरे समुदाय की अस्मिता और मानवता का सवाल है।

हिमाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति समुदाय ने कई माँगें रखी हैं। उन्होंने घटना की निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जाँच की माँग की है। साथ ही दोषियों की त्वरित गिरफ्तारी और कड़ी सजा की माँग भी की गई है। परिवार को न्याय और आर्थिक सहायता दिए जाने की भी माँग है।

समुदाय ने प्रदेश में जातिगत भेदभाव पर सख्त रोक लगाने की बात कही है। तथाकथित शुद्धि प्रथाओं के खिलाफ कार्रवाई की माँग भी की गई है। यह घटना समाज में व्याप्त कुरीतियों की ओर इशारा करती है।

यह घटना दर्शाती है कि आधुनिक दौर में भी जातिवाद जैसी बुराइयाँ मौजूद हैं। इस मामले ने सामाजिक संवेदनशीलता और कानून के शासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि इस घटना से पूरे समाज को सबक लेना चाहिए।