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भारत में नेपाल हिंसक आंदोलन की झलक लेह की सड़कों पर आग और आक्रोश

लेह। ब्यूरो

नेपाल में उठी Gen-Z के हिंसक आंदोलन की आग भारत तक आ पहुंची है। इसकी एक झलक सबसे शांत इलाका कहे जाने वाले लद्दाख में उस वक्त देखने को मिली जब अचानक लेह की सड़कों पर आग और आक्रोश उमड़ पड़ा। देखते ही देखते यह आक्रोश हिंसा का रूप धारण कर लिया, जिसमें 4 लोगों की मौत और 70 लोग घायल हो गए। जेनरेशन-जेड के प्रदर्शनकारी युवाओं ने जहां पत्थरबाजी की. पुलिस से झड़प की और बीजेपी दफ्तर तक आग के हवाले कर दिया। हालांकि स्थिति के मद्देनजर लद्दाख और करगिल में बीएनएसएस की धारा 163 लागू कर दी गई है.

बुधवार की सुबह ही लद्दाख की राजधानी लेह में बंद के नारे के साथ सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए. जैसे-जैसे दिन बीतता गया, दूर से आग की लपटें और काले धुएं के गुबार दिखाई देने लगे। दरअसल, ये हिंसा उस आंदोलन को लेकर हुई, जिसके तहत पर्यावरण कार्यकर्ता

प्रदर्शनकारियों की 4 प्रमुख मांग

लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा

② 6वीं अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा

कारगिल और लेह अलग लोकसभा सीट

सरकारी नौकरी में स्थानीय लोगों की भर्ती

युवाओं में जो निराशा है, उसकी वजह यह है कि उन्हें नौकरियों से दूर रखा गया है। उनका आरोप था कि लद्दाख में लोकतंत्र नहीं है और जनता से किया गया छठी अनुसूची का वादा भी पूरा नहीं हुआ है।

सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं और ये भी कह रहे हैं कि लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। इसके साथ ही सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों की भर्ती की जाय। गौरतलब है कि साल 2019 में जब केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 और अनुच्छेद 35-ए को हटाया था, तब जम्मू कश्मीर और लद्दाख केन्द्र शासित प्रदेश बन गए थे और इसी के बाद से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग हो रही है। तभी से सोनम वांगचुक लद्दाख को

छठी अनुसूचि में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।

हिंसा को देखते हुए सोनम वांगचुक ने अपनी भूख हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी और युवाओं से तोड़फोड़ न करने की अपील की। उन्होंने कहा, युवा हिंसा बंद करें क्योंकि इससे सिर्फ हमारे आंदोलन को नुकसान पहुंचता है और स्थिति खराब होती है। वांगचुक ने कहा, यह लद्दाख और मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से सबसे दुखद दिन है, क्योंकि पिछले पांच सालों से हम जिस रास्ते पर चल रहे थे, वह शांतिपूर्ण था।

हमने पांच बार भूख हड़ताल की, लेह से दिल्ली तक पैदल यात्रा की, लेकिन आज हिंसा और आगजनी की वजह से हमारा शांति का संदेश असफल होता दिख रहा है। वांगचुक ने यह भी कहा कि युवाओं में जो निराशा है. उसकी वजह यह है कि उन्हें नौकरियों से दूर रखा गया है। उनका आरोप था कि लद्दाख में "लोकतंत्र नहीं है और जनता से किया गया छठी अनुसूची का वादा भी पूरा नहीं हुआ है। बता दें कि संविधान की छठी अनुसूची, पूर्वोत्तर के राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम और असम की जनजातीय आबादी के लिए बनाई गई है। इसके तहत शासन, राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों का स्वरूप, वैकल्पिक न्यायिक व्यवस्थाएं और स्वायत्त परिषदों के ज़रिए वित्तीय अधिकार जैसे विशेष प्रावधान हैं।