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सीवर की सफाई में 6 साल में 430 मौतेंजिम्मेदार कौन?
नई दिल्ली। ब्यूरो
सीवर में काम के दौरान जान गंवाने वाले अरविंद की पत्नी निशा सरकार से इंसाफ मांग रही हैं। 16 सितंबर को दिल्ली के अशोक विहार इलाके में अरविंद की मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि वो कंपनी के कहने पर बिना सेफ्टी गियर के सीवर में उत्तरे और जहरीली गैस की चपेट में आ गए। दिल्ली में सीवर में काम के दौरान मौत या लापरवाही का ये कोई अकेला मामला नहीं है। इसके दो दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने नाले की हाथ से सफाई को लेकर दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। ये सफाई सुप्रीम कोर्ट परिसर के गेट-एफ पर की जा रही थी।
आंकड़ों पर नजर डालें तो 2019 से 2024 के बीच सीवर और सेप्टिक टैंक में उत्तरने के कारण दिल्ली में ही 37
ग्राउंड रिपोर्ट
सीवर की सफाई के दौरान 6 साल में 430 मौतें
लोगों की मौत हो चुकी है। ये मौतें तब हुई, जब सरकार मशीनों से सफाई कराने का दावा करती रही है। वहीं 2019 से अब तक देश भर में 430 लोगों की मौत हो चुकी है। वो भी तब जब बिना उपकरणों के सफाई कराने के खिलाफ कानून मौजूद है। सितंबर 2023 में केंद्र सरकार ने सफाई के दौरान होने वाली मौतों की एक स्टडी करवाई थी।
इसमें पता चला था कि सीवर की सफाई के दौरान जान गंवाने वाले 90 प्रतिशत से ज्यादा मजदूरों ने कोई सेफ्टी किट नहीं पहनी थी। इस स्टडी में देश के 17 जिलों में हुई 54 मौतों का एनालिसिस किया गया था। स्टडी के मुताबिक, 49 केस में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए कोई भी सेपटी उपकरण नहीं दिए गए थे। 5 मामलों में मजदूरों ने सिर्फ ग्लव्स पहना था। 2013 में इसे लेकर कानून भी बना, लेकिन मौतों का सिलसिला नहीं रुका।
बता दें कि मैन्युअल स्कैर्वेजिंग (मानव मल हटाना) के खिलाफ बेजवाड़ा विल्सन तीन दशकों से भी ज्यादा समय से काम कर रहे हैं। वे 'सफाई कर्मचारी आंदोलन'
के फाउंडर भी हैं। विल्सन कहते हैं. 'मैकेनाइजेशन करना बहुत बड़ी बात नहीं है। हम चंद्रयान बना रहे हैं. टेक्नोलॉजी में इतने आगे आ गए हैं। फिर सीवेज और सेप्टिक टैंक साफ करने के लिए सरकार मैकेनाइजेशन क्यों नहीं कर पा रही है। एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग के लोग इस काम में लगे हैं, क्या यही वजह है कि आप ऐसा नहीं कर रहे हैं?' दिसंबर 2021 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया था कि देश में कुल 58,098 लोग मैन्युअल स्कैवेंजिंग के काम में लगे हुए हैं। इसमें 97 प्रतिशत लोग एससी से आते हैं। वहीं 421 लोग अनुस. चित जनजाति से और 431 लोग अन्य पिछड़े वर्ग से आते हैं।